गोस्वामी तुलसीदास रचित हनुमान चाली...
A Documentary on Yashpal
यशपाल पर एक डाक्यूमेंट्री यशपाल 20वीं सदी के हिंदी लेखको मे एक अहम स्थान रखते हैं. वे स्वयं एक सक्रिय क्रांतिकारी और कार्यकर्ता रहे हैं. हिन्दी में मार्क्सवादी लेखकों की परंपरा में उनका स्थान बहुत ऊंचा है. आजादी के बाद के भारत को समझने के लिए उनका लेखन बहुत मायने रखता है. पेश है यशपाल के जीवन और कृतित्व को दर्शाती एक डाक्यूमेन्ट...
A Ghazal by Ghalib
गालिब की एक गजलमिर्जा असदुल्लाह खॉं गालिब को जब भी पढ़ें दिल को एक सुकून सा पहुंचता है और साथ में यदि जगजीत सिंह की आवाज हो तो क्या कहने........सुनिए कानों में मिश्री घोलती हुई जगजीत सिंह की मखमली आवाज में गालिब की ये गजल-हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी की हर ख्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले । निकलना खुल्द से आदम का सुनते आये हैं लेकिन, बहुत बेआबरू हो कर तेरे कूचे से हम निकले । मुहब्बत में नही है फर्क जीने और मरने का, उसी को देख कर जीते हैं जिस काफिर पे दम निकले...
Gulzar ki Triveni
गुलजार की त्रिवेणियॉंगुलजार साहब का कविता कहने का अपना ही अंदाज है. ये सूफियाना भी है रोमांटिक भी और खूबसूरत भी. त्रिवेणी उनकी खुद की ईजाद की हुई कविता की एक विधा है जिसमें तीन पंक्तियों में कोई बात कही जाती है. पेश हैं उनकी कुछ चुनी हुई त्रिवेणियॉं-१.मां ने जिस चांद सी दुल्हन की दुआ दी थी मुझेआज की रात वह फ़ुटपाथ से देखा मैंनेरात भर रोटी नज़र आया है वो चांद मुझे२.सारा दिन बैठा,मैं हाथ में लेकर खा़ली कासा(भिक्षापात्र)रात जो गुज़री,चांद की कौड़ी डाल गई उसमेंसूदखो़र सूरज कल मुझसे ये भी ले...
Kabir ke Dohe

Kabir ke doheकबीर के दोहे- प्रेम न बाड़ी ऊपजै, प्रेम न हाट बिकाय।राजा परजा जेहि रूचै, सीस देइ ले जाय।। जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं।प्रेम गली अति सॉंकरी, तामें दो न समाहिं।। जिन ढूँढा तिन पाइयॉं, गहरे पानी पैठ।मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ।। बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।जो दिल खोजा अपना, मुझ-सा बुरा न कोय।। सॉंच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।जाके हिरदै सॉंच है, ताके...
Nida Fazli - Dushmani laakh sahi
निदा फाजली की एक बहुत ही खूबसूरत नज्म- दुश्मनी लाख सही खत्म ना कीजे रिश्ता.... देखिए और सुनिए उन्हीं की जुबा...