Swami Vivekananda ke Shaktidayi Vichar



स्वामी विवेकानंद के शक्तिदायी विचार

* सफलता प्राप्त करने के लिए जबरदस्त सतत प्रयत्न और जबरदस्त इच्छा रखो। प्रयत्नशील व्यक्ति कहता है, 'मैं समुद्र पी जाउंगा, मेरी इच्छा से पर्वत टुकड़े टुकड़े हो जाएंगे।' इस प्रकार की शक्ति और इच्छा रखो, कड़ा परिश्रम करो, तुम अपने उद्देश्य को निश्चित पा जाओगे।

* अपने स्नायु शक्तिशाली बनाओ। हम लोहे की मांसपेशियां और फौलाद के स्नायु चाहते हैं। हम बहुत रो चुके— अब और अधिक ना रोओ, वरन् अपने पैरों पर खड़े होओ और मनुष्य बनो।

* हम देख सकते हैं कि एक तथा दूसरे मनुष्य के बीच अन्तर होने का कारण उसका अपने आप में विश्वास होना और ना होना ही है। अपने आप में विश्वास होने से सबकुछ हो सकता है। मैंने अपने जीवन में इसका अनुभव किया है, अब भी कर रहा हूं और जैसे जैसे मैं बड़ा होता जा रहा हूं, मेरा विश्वास और भी दृढ़ होता जा रहा है।

* विश्वास, विश्वास, अपने आप में विश्वास, ईश्वर में विश्वास — यही महानता का रहस्य है। यदि तुम पुराण के तैंतीस करोड़ देवताओं और विदेशियों द्वारा बतलाये हुए सब देवताओं में भी विश्वास करते हो, पर यदि अपने आप में विश्वास नहीं करते, तो तुम्हारी मुक्ति नहीं हो सकती। अपने आप में विश्वास करो, उस पर स्थिर रहो और शक्तिशाली बनो

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