चिंता को हराने का सबसे आसान फॉर्मूला



Hindi Review of Dale Carnegie book 'How to stop worrying and start living'

 ये तो हम सभी जानते हैं कि चिंता ऐसी बीमारी है जो एक बार लग जाये तो आसानी से नहीं छूटती और ये भी एक सच है कि दुनिया में यदि सबसे बड़ी कोई बीमारी है तो वो यही है। शरीर की बीमारियों को तो हम दवाओं से दूर कर सकते हैं पर इसके लिए कोई दवा भी काम नही आती। ना तो ठीक से हम खुद समझ पाते हैं कि असल में समस्‍या क्‍या है और ना ही किसी और को अपने मन की बात समझा पाते हैं। बस हर समय अंदर ही अंदर इससे लड़ते रहने और कोई रास्‍ता ना समझ आने से हमारी हालत उस ड्राइवर जैसी हो जाती है जो ना तो गाड़ी को कंट्रोल में रख पा रहा है ना ये जानता है कि उसको जाना कहां है और किस रास्‍ते जाए। ये समस्‍या इस प्रकार की होती हैं कि ना तो हम खुद कुछ कर पाते हैं ना ही हमारे आसपास के लोग हमारी मदद कर पाते हैं क्‍योंकि वे खुद नहीं समझ पाते कि समस्‍या की जड़ कहां है और उससे निपटना कैसे है। ऐसे में ज्‍यादातर लोग चिंता करने वाले को उसके हाल पे छोड़ देते हैं और समस्‍या अक्‍सर इतनी बढ़ जाती है कि डिप्रेशन या अवसाद की स्थिति आने के अलावा लोग आत्‍महत्‍या जैसे बेहद नकारात्‍मक विचारों तक में डूब जाते हैं।




हालात चाहे जितने भी भयानक और बुरे हों पर उन्‍हें सुधारने की शुरूआत कभी भी किसी भी स्‍टेज पर की जा सकती है। अक्‍सर ऐसे लोग बेहद नाउम्‍मीद हो जाते हैं पर जब चिंता और Negativity के जाल से निकलने के लिए हम थोड़ी थोड़ी कोशिश करना शुरू कर देते हैं बस वहीं से चीजें आसान होना शुरू हो जाती हैं और इस कोशिश का अर्थ कुछ करना नहीं है केवल ये समझना है कि दुनिया में आप अकेले इंसान नहीं हैं जो इतनी सारी समस्‍याओं से घिरे हुए हैं, दुनिया में अनगिनत लोगों ने उनसे भी बुरे दिन देखे इसके बावजूद भी वे वो सब कर पाये जिसकी वो उम्‍मीद तक खो चुके थे।

'चिंता छोड़ो सुख से जियो' ( Chinta Chodo Sukh Se Jiyo) के लेखक डेल कारनेगी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। जहां उन्‍होंने शुरुआत में अपने बारे में बात की है कि वे अपने शहर न्‍यूयार्क के सबसे दुखी लोगों में से एक थे। वे अपने काम से नफरत करते थे और हर दिन चिंता, निराशा, सिरदर्द, कड़वाहट में जीते थे। उनके खुशनुमा सपने बुरे सपनों में बदल गये थे। तब उन्‍होंने इसे बदलने का निर्णय लिया और अपनी जिंदगी को खुशहाल और सुखद बनाने के लिए किये गये प्रयासों के दौरान उन्‍होंने ये किताब लिखी। उन्‍होंने इस किताब की प्रस्‍तावना में लिखा है : ' चिंता मानव-जाति के सामने मौजूद सबसे बड़ी समस्‍याओं में से एक है, इसलिए आप ये सोचेंगे ना कि दुनिया के हर हाई स्‍कूल और कॉलेज में ये कोर्स चलाना चाहिये कि - चिंता को कैसे दूर किया जाए ? मगर दुनिया के किसी भी कॉलेज में इस विषय पर कोई कोर्स चलता हो तो मैंने उस कॉलेज का नाम नहीं सुना।'

डेल कारनेगी के शब्‍दों में - ' आपने इस पुस्‍तक को ये जानने के लिए नहीं उठाया कि इसे कैसे लिखा गया। आपको एक्‍शन की तलाश है। कृपया इस पुस्‍तक के भाग 1 और 2 को पढ़ें और अगर उस समय तक आपको ये ना लगे कि चिंता छोड़ने और सुख से जीने के लिए आपमें नयी शक्ति और प्रेरणा जाग गयी है - तो इस किताब को उठाकर दूर फेंक दें। ये आपके काम की नहीं है।'

इस पुस्‍तक को पढ़ने से चिंता छोड़ने और सुख से जीने की आपकी क्षमता यूकेलिप्‍टस के पेड़ की तरह बहुत तेजी से विकसित होगी और बढ़ेगी। ये एक प्रैक्टिकल वर्कबुक है चिंता को जीतने और एक खुशहाल जिंदगी के लिए। इसकी विषय सूची और अध्‍यायों के नाम  पढ़ने से ही समझ में आ जाता है कि असल में जो हम खोज रहे थे वो सब लेखक ने अपने शब्‍दों में बयां कर दिया है। कुछ बेहद असरकारक फॉर्मूले हैं जो इस किताब आठ खंडों में दिये गये हैं। मेरे ख्‍याल में इस किताब को पढ़ने के बाद आप यही महसूस करेंगे कि आपकी चिंता या समस्‍या जिसको आप इतना बड़ा मान बैठे हैं आप उनसे भी बड़ी चिंताओं पर विजय पा सकते हैं। ये किताब एक बार पढ़े जाने के लिए नहीं है, जब भी आपको जरूरत हो, जब आप निराशा में घिरे हों तो हर बार ये आपकी मदद करती है। ऐसा कभी नहीं होता कि गहरे अवसाद या निराशा से निकलने के बाद हम हमेशा पॉजिटिव रहें Negativity हमें अक्‍सर घेर लेती है और जैसे मौसम बदलता है वैसे ही हमारा मूड भी हमेशा सकारात्‍मक नहीं रहता। इसलिए खुद को दुबारा चार्ज और Motivate करने के लिए हमें कुछ तो चाहिए होता है और ये किताब ये काम बहुत अच्‍छे से करती है, खासकर जब निराशा बहुत ज्‍यादा और कुछ भी समझ ना आये ऐसे समय में ये दमदार तरीके से हमें Life के Positive Track पे फिर से ले आती है।

इसके सबसे अंतिम भाग में उन लोगों की कहानियां दी गई हैं जो निराशा और नाउम्‍मीद की गहरी खाई से बच निकलने में सफल हुए। इनको पढ़ते हुए लगता है कि हम कम से कम इनसे तो बेहतर स्थिति में ही हैं। हमारा सब कुछ चौपट हो गया हो चाहे वो स्‍वास्‍थ्‍य हो, नौकरी, जिंदगी भर की मेहनत से खड़ा किया गया बिजनेस हो या कुछ भी हम सब कुछ दुबारा से खड़ा कर सकते हैं। जब हम अपने से भी बदतर स्थिति वाले लोगों को खड़ा होते देखते हैं तब हमें लगता है इस दुनिया में हम अकेले नहीं जिसके साथ ऐसा हुआ और हमसे भी बदतर हालत वाले लोग हैं और सबसे बड़ी बात कि दुबारा खड़े होने की इस जद्दोजहद में हम सीखते हैं कि खुश रहने के लिए हमें बहुत पैसे और सुविधाओं की जरूरत नहीं और जब हम खुश रहना सीख लेते हैं और जिंदगी के प्रति हमारा रवैया सकारात्‍मक हो जाता  है तो हम वो सब कर सकते हैं जो करना चाहते हैं। डेल कारनेगी Personality Development के क्षेत्र में सबसे बिकने वाला नाम हैं उनकी किताब How to win Friends and Infulence People जो हिन्‍दी में लोक व्‍यवहार के नाम से बिकती है 1935 से लेकर अब तक Bestseller Books की सूची में रही है साथ ही हाउ टु स्‍टॉप वॉरीइंग एंड स्‍टार्ट लिविंग भी।  उनके बाद ना जाने कितने लेखकों ने इस विषय पर लिखा होगा पर आज भी वे हीरो हैं और उनकी ये किताब Happiness and Tension Free Life जीने के सबसे बेस्‍ट तरीके सिखाती है।


2 comments:

Anonymous said...

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